रिश्तों की मधुरता, ग्रहों के दुष्प्रभाव रोकने के संकल्प लिये निकली सूर्य देव की सवारी
मकर संक्रांति पर ग्रहों के राजा सूर्य देव की सवारी पुत्र के घर मकर में धूमधाम से पहुंची
उज्जैन। 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर एक अनूठा आयोजन इंदौर रोड़ स्थित शनि नव ग्रह मंदिर में देखने को मिला। यहां सूर्य देव की सवारी धूमधाम से कृष्णगुरुजी अंतरराष्ट्रीय डिवाइन एस्ट्रो हीलर के सानिध्य में निकाली। ढोल शंखों की ध्वनि के साथ 51 बटुक ब्राह्मण पुत्र के सूचक बन सवारी में सूर्य मंत्रो के उदघोष के साथ शामिल हुए। शनि मंदिर आचार्य शैलेंद्र ने सूर्य को अर्क दिलवा शनि गर्भ मकर राशि में विराजित कर दस दिवसीय अनुष्ठान की शुरूआत की।
अनुष्ठान आयोजक कृष्णा मिश्रा गुरुजी ने बताया प्राचीन शनि नव ग्रह मंदिर उज्जैन त्रिवेणी पर है जहाँ हर ग्रह का अपना अलग भू गर्भ है। इस अनुष्ठान का संकल्प सिर्फ पिता पुत्र के संबंधो में मिठास, पुत्र में पिता के प्रति जिम्मेदारी का अहसास एवं ग्रहों की चाल से होने वाले दुष्परिणाम को रोकने का है। क्योंकि सूर्य और शनि आपस मे पिता पुत्र हो कर भी शत्रु होने का संदेश दे कर आपस मे मिलते है जिसका मकर संक्रांति एक उदाहरण है। अनुष्ठान 15 जनवरी से प्रारंभ होकर 24 जनवरी तक चलेगा क्योंकि 24 जनवरी को पिता पुत्र का मिलन पुत्र की राशि मे 30 वर्ष बाद होगा। इस दस दिवसीय अनुष्ठान में सूर्य शनि के मंत्रो का जाप चलता रहेगा। हर दिन शनि प्रांगण में बनाई जाने वाली नवग्रह वाटिका में 1 पौधा रोपित होगा। 15 जनवरी को सूर्य का पौधा आक का रोपित कृष्णगुरुजी द्वारा रोपित हो दस दिवसीय वृक्षरोपण की शुरुआत भी हुई।