उज्जैन में वीडियों कॉलिंग से श्रद्धालुओं को करा रहे आनलाइन श्राद्ध
उज्जैन। भाद्रपद मास की पूर्णिमा पर बुधवार से महालय श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो गया है। पहले दिन रामघाट, सिद्धवट व गयाकोठा पर श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान किया। हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण व परिवहन के साधन बंद होने से, कई श्रद्धालु तीर्थ पर नहीं पहुंच पा रहे। ऐसे श्रद्धालुओं को तीर्थ पुरोहित वीडियो कॉल के जरिये श्राद्ध करा रहे हैं। पुरोहितों का कहना है कि आने वाले दिनों में अगर ऑनलाइन श्राद्ध कराने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी, तो फेसबुक व जूम एप पर सामूहिक श्राद्ध कराने की व्यवस्था की जाएगी।
श्री क्षेत्र पंडा समिति के अध्यक्ष पं.राजेश त्रिवेदी ने बताया महालय श्राद्ध व नैमित्तिक श्राद्ध में अंतर है। जो लोग अपने स्वजनों की मृत्यु के तीसरे, पांचवें, सातवें और ग्यारहवें वर्ष में महालय श्राद्ध करना चाहते हैं, उन्हें तीर्थ पर आना आवश्यक है। मगर जो श्रद्धालु नित्य नैमित्तिक क्रम से अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर रहे हैं, वे घर बैठे इसे कर सकते हैं। घर पर श्राद्ध करने वालों के लिए ऑनलाइन श्राद्ध की व्यवस्था है।
इस माध्यम से व्यक्ति विधि विधान से अपने पितरों का तर्पण कर धर्मविधि का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह पद्धति पूरी तरह शास्त्रोक्त है। कोरोना संक्रमण के इस दौर में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। सोलह दिवसीय पर्वकाल में अगर अन्य लोग भी ऑनलाइन श्राद्ध करने की इच्छा व्यक्त करेंगे, तो फेसबुक, जूम एप, यूट्यूब के माध्यम से सामूहिकश्राद्ध कर्म कराए जाएंगे।
धर्म के लिए विज्ञान का सहारा लेने में कोई बुराई नहीं
गाजियाबाद निवासी अमर उपाध्याय ने बुधवार को पं.राजेश त्रिवेदी के माध्यम से अपने पिता रमेशचंद्र उपाध्याय का ऑनलाइन श्राद्ध किया। उन्होंने कहा कि मैं उज्जैन के तीर्थपुरोहितों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने ऑनलाइन सुविधा के माध्यम से मेरे पिताश्री का श्राद्ध कराया। मैं पूर्णत: संतुष्ट हूं। कोरोना संक्रमण के इस दौर में धर्म के लिए विज्ञान का सहारा लेने में कोई बुराई नहीं है।
...इधर तीर्थ स्थलों पर दिन भर उमड़ी आस्था
बुधवार को शुरू हुए महालय श्राद्ध पक्ष के पहले दिन तीर्थ पर आस्था उमड़ी। रामघाट, गयाकोठा व सिद्धवट पर तीर्थश्राद्ध कराने वालों का तांता लगा रहा। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने तिपरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान किया। इधर कोरोना संक्रमण के चलते भीड़ नियंत्रण की दृष्टि से प्रशासन ने सख्त कदम उठाए। गयाकोठा स्थित सप्त ऋषि मंदिर में ताला लगा दिया गया। परिसर में कर्मकांड कराने वाले पुरोहितों को भी क्रमवार प्रवेश की अनुमति दी गई।
पं.अमर डब्बावाला ने बताया अवंतिका नगरी में तीर्थ श्राद्ध का महत्व गयाजी के समान है। इसलिए महालय श्राद्ध के सोलह दिवसीय पर्वकाल में स्थानीय के साथ दूरदाराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पितृकर्म के लिए उज्जैन आते हैं। बुधवार को महालय श्राद्धपक्ष के पहले दिन बड़ी संख्या में भक्त तीर्थ क्षेत्र पहुंचे तथा पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान किया।
तीर्थ पुरोहित कोरोना नियम की गाइड लाइन के अनुसार लोगों को श्राद्धकर्म करा रहे हैं। गुरुवार को प्रतिपदा का श्राद्ध होगा, जिन परिवारों में पूर्वजों की मृत्यु प्रतिपदा (एकम) के दिन हुई है, उन्हें अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है श्रद्धा से किया गया कर्म श्राद्ध कहलता है। इसलिए अपने पितरों के निमित्त गाय को चारा, श्वान को रोटी, पक्षियों को दाना, ब्राह्मण को सीधा, पात्र, दक्षिणा आदि अपने सामर्थ्य अनुसार देना चाहिए।