टेबूकोनाझोल+सल्फर एक कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करने से सोयाबीन की फसल में हो रहा नुकसान कम किया जा सकता है
उज्जैन | कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.आरपी शर्मा ने बताया कि सोयाबीन की फसल में विभिन्न कीटव्याधियों द्वारा हो रहे बड़े पैमाने पर नुकसान को रोकने के लिये तत्काल किसान भाई टेबूकोनाझोल+सल्फर एक कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। जिले की विभिन्न तहसीलों में सोयाबीन की फसल पर विभिन्न कीटव्याधियों एवं विषाणु रोगों का प्रकोप चल रहा है। इस कारण से सोयाबीन की फसल देखते-देखते पीली पड़ रही है। साथ ही सोयाबीन की फसल में तना छेदक इल्लियों का भी प्रकोप हो रहा है। उन्होंने कहा है कि किसान इससे घबराये नहीं और यदि वे वैज्ञानिकों की सलाह के अनुरूप दवाई का छिड़काव करते हैं तो अभी भी सोयाबीन में नुकसान को कम किया जा सकता है। श्री शर्मा ने सलाह दी है कि टेबूकोनाझोल (625 मि.ली./हे.) अथवा टेबूकोनाझोल+सल्फर (1 कि.ग्रा./हे.) अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्ल्यू.जी. (500 ग्रा./हे.) अथवा हेक्जाकोनाझोल 5 प्रतिशत ई.सी. (800 मि.ली./हे.) से छिड़काव करने से अब तक जितना नुकसान हुआ है उसको छोड़कर आगे का नुकसान शत-प्रतिशत रोका जा सकता है।