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कोरोना के चलते 3 महीने बिलकुल भी बाहर नहीं निकले थे अनलॉक के बाद लगता था कैसे गुजर-बसर होगा पीएम स्ट्रीट वेण्डर आत्मनिर्भर स्वनिधि योजना से मिला सहारा


 उज्जैन | शहर के भैरवगढ़ में रहने वाले 43 वर्षीय राकेश पिता पूनमचंद बिते दिनों कोरोना संक्रमण के चलते अपने घर से बिलकुल भी बाहर नहीं जा सके थे। राकेश फल और सब्जी विक्रय कर अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है। कोरोना संक्रमण के पूर्व किसी तरह फल और सब्जी विक्रय से घर चल जाता था लेकिन लॉकडाउन के कारण राकेश न तो सब्जी विक्रय कर सके और न ही स्टॉक क्लियर कर सके। नतीजा यह हुआ कि घर में रखे स्टॉक में सब्जियां खराब हो गई, जिस वजह से राकेश को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
जून माह से देशभर में जब अनलॉक की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई तो काफी दिनों तक लोग कोरोना संक्रमण से डर के कारण सब्जियां व फल खरीदने से बचते रहे। इस वजह से राकेश को लगने लगा था कि अब उनका गुजर-बसर बहुत मुश्किल से हो सकेगा। उनके पास जो भी रुपया था वह नुकसान की भरपाई में खत्म हो चुका था। दोबारा सब्जी का व्यवसाय प्रारम्भ करने के लिये राकेश के पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी। कुछ समय बाद राकेश के एक अन्य मित्र जो स्वयं भी सब्जी का व्यवसाय करते हैं, उन्होंने राकेश को प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेण्डर आत्मनिर्भर योजना के बारे में जानकारी दी। योजना की जानकारी मिलने के बाद राकेश ने योजना का लाभ लेने के लिये नगर पालिक निगम में आवेदन दिया और लगभग एक माह के अन्दर उनके खाते में 10 हजार रुपये का ऋण आ गया। राकेश को यह लोन बिना किसी सिक्योरिटी के प्रदाय किया गया। इस मदद से राकेश न केवल अपना व्यवसाय पुन: स्थापित कर सके, बल्कि अब उनका व्यवसाय पुन: सुचारू रूप से संचालित हो रहा है।
इस सहायता के लिये राकेश मध्य प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा निचले स्तर के लोगों का भी विशेष ध्यान रखा गया है। दस हजार रुपये की राशि बाकी लोगों के लिये हो सकता है मामूली हो, लेकिन राकेश और उनके जैसे अनगिनत स्ट्रीट वेण्डर्स के लिये अनलॉक प्रक्रिया के पश्चात दोबारा आत्मनिर्भर बनने और ठप पड़ चुके व्यवसाय को पुन: संचालित करने के लिये एक बहुत बड़ी सहायता है। राकेश ने कहा कि यह योजना उनके अंधेरे जीवन में रोशनी की किरण बनकर उस समय आई, जब वे पूरी तरह से निराश हो चुके थे। परिवार में स्वयं सब्जी का व्यवसाय होने के बावजूद दो वक्त के भोजन का संकट खड़ा हो गया था।
लेकिन इस योजना से न सिर्फ परिवार का गुजर-बसर दोबारा अच्छे-से होने लगा, बल्कि उनके मासूम बच्चों के चेहरों पर फिर से रौनक आ गई। अब राकेश को प्रतिदिन 300 से 400 रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्हें पूरा विश्वास है कि शीघ्र-अतिशीघ्र वे यह लोन चुका देंगे। इसके अलावा राकेश अब अपने सब्जी और फल विक्रय के व्यवसाय को और बढ़ाकर ठेले के स्थान पर स्वयं की एक दुकान लगाने के बारे में भी सोच रहे हैं। इस सहायता के लिये राकेश प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद व्यक्त करते हैं।

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