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महाविद्यालयों में जनभागीदारी से अधिक से अधिक कार्य कराये जायें



सेल्फ फायनेंस कोर्स अनिवार्य रूप से चलायें, अतिथि विद्वानों को नियुक्त किया जाये, प्लेसमेंट कराया जाये, महाविद्यालयों में पढ़ाई का माहौल अच्छा होना चाहिये, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों के साथ समीक्षा बैठक की
उज्जैन | उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने आज बृहस्पति भवन में जिले के समस्त शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों के साथ समीक्षा बैठक लेकर निर्देश दिये कि अपने-अपने महाविद्यालयों में जनभागीदारी से अधिक से अधिक कार्य कराये जायें। जिन महाविद्यालयों में सेल्फ फायनेंस कोर्स नहीं है, उन महाविद्यालयों में अनिवार्य रूप से सेल्फ फायनेंस कोर्स चलाये जायें। जिन महाविद्यालयों में प्रोफेसरों की कमी है, वहां पर अतिथि विद्वानों को नियुक्त किया जाये। महाविद्यालयों में प्लेसमेंट करायें, ताकि होनहार विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त हो सके। महाविद्यालयों में पढ़ाई का माहौल बेहतर हो और अनुशासन रहे, इस बात का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। महाविद्यालयों में अधिक से अधिक सोलर प्लांट लगाये जायें।
    उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने जिले के तहसीलवार महाविद्यालयों के प्राचार्यों की समस्याएं सुनी और सम्बन्धितों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। महाविद्यालयों में निरन्तर प्रगति लायें। जहां पद अतिरिक्त है वहां समन्वय स्थापित कर अन्य महाविद्यालय में पदस्थ करने का प्रयास किया जाये। नेट में अच्छी ग्रेड मिले, इसका बेहतर प्रयास किया जाये। बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने बताया कि प्रदेश में मात्र भोपाल का एक ही महाविद्यालय ‘ए प्लस’ महाविद्यालय है। इस पर भी विशेष ध्यान दें, ताकि यहां के महाविद्यालय भी ‘ए प्लस’ श्रेणी में आयें। जिन महाविद्यालयों में सेल्फ फायनेंस कोर्स नहीं हैं, वे दूसरे महाविद्यालयों में इस प्रकार के कोर्स चल रहे हैं, वहां का भ्रमण कर अपने महाविद्यालयों में भी कोर्स लागू किया जाये। मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि महाविद्यालयों की उपयोगिता सही होना चाहिये। शासन की योजनाओं का लाभ महाविद्यालय के छात्रों को दिलवाया जाये। जिन महाविद्यालयों में क्या-क्या आवश्यकताएं हैं वे प्राचार्य लिखित में उच्च शिक्षा विभाग के अपर संचालक उज्जैन संभाग उज्जैन को उपलब्ध करायें, ताकि वे एकजाई रिपोर्ट उन्हें उपलब्ध करवा सकें। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा किसी भी महाविद्यालय में कभी भी आकस्मिक निरीक्षण किया जा सकता है। बैठक में मंत्री डॉ.यादव ने नई शिक्षा नीति के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। महाविद्यालयों के अलग-अलग विधाओं के विद्यार्थियों को अलग-अलग ऐतिहासिक स्थानों का भ्रमण कराया जाये। बैठक में दिये गये निर्देशों का पालन एवं अमल में लाने के लिये पुन: बैठक ली जायेगी। अगली बैठक में निर्देशों का पालन प्रतिवेदन पावर पाइन्ट प्रजेंटेशन के माध्यम से देखा जायेगा। महाविद्यालयों में जो अच्छा हो सके वह करने का प्रयास प्राचार्य करें। जिन प्राचार्यों को महाविद्यालयों की समस्याएं हैं वे अनिवार्य रूप से बताने का प्रयास करें, ताकि उसका समाधान किया जा सके।
    बैठक में सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय का एक अपना अलग इतिहास रहा है और हमें उज्जयिनी से उच्च शिक्षा मंत्री मिले हैं तथा उनके द्वारा जिले के समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों की समीक्षा बैठक आयोजित की है, वह प्रशंसनीय है। शिक्षा के क्षेत्र में और बेहतर प्रयास किये जायें। आज के दौर में हमें पीछे नहीं रहना चाहिये। उज्जैन का नाम प्रदेश में ही नहीं देश में अग्रणी लाने का हरदम प्रयास किया जाये। इसमें सबके सहयोग की अपेक्षा है। महाविद्यालयों में प्रोफेशनल कोर्स अनिवार्य रूप से लायें और पुरानी पद्धति को छोड़कर नई पद्धति को शुरू करना चाहिये। उच्च शिक्षा हमारे सबके लिये भरण-पोषण का साधन भी है। प्रतियोगिता परीक्षाओं में हमारे जिले के छात्र आगे आयें। जिस तरह से प्रायवेट महाविद्यालयों से निकले छात्र प्रतियोगिता में भाग लेकर आगे निकलते हैं, उसी तरह हमारे शासकीय महाविद्यालयों के छात्र भी प्रतियोगी परीक्षाओं में आगे आयें, ऐसा हमें हर समय प्रयास किया जाना चाहिये। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी आगे बढ़ायें। सांसद श्री फिरोजिया ने कहा कि एनसीसी व स्काउट गाईड को आगे बढ़ाना चाहिये। साइंस कॉलेज में छात्रों की अधिक संख्या एवं अन्य छात्र को प्रवेश न मिलने के कारण वे छात्र बाहर जाते हैं, इस हेतु उज्जैन शहर में एक और साइंस कॉलेज स्थापित होना चाहिये। जिन महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य हैं, वहां नियमित प्राचार्य होना चाहिये। प्राचार्यों का प्रशिक्षण भी होना चाहिये। सांसद श्री फिरोजिया ने कहा कि कालिदास कन्या महाविद्यालय श्री रामजनार्दन मन्दिर के पास दूर होने से छात्राओं को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिये उस स्थान की बजाय अन्य स्थान पर शिफ्ट किया जाये और उस स्थान पर अन्य कॉलेज स्थापित किया जाये। माधव महाविद्यालय बहुत पुराना है और वर्तमान में जर्जर स्थिति होने के कारण उसे अन्य स्थान पर स्थानान्तरित करना चाहिये। शहर में एक और नया कॉमर्स कॉलेज बनना चाहिये। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि महाविद्यालयों में जनप्रतिनिधियों एवं उच्च अधिकारियों के द्वारा मॉनीटरिंग की जाये।
    बैठक में विधायक श्री रामलाल मालवीय, श्री दिलीप गुर्जर, श्री महेश परमार एवं श्री मुरली मोरवाल ने भी अपने-अपने क्षेत्र के महाविद्यालयों की समस्याओं से अवगत कराया और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने मांग की कि वे समस्याओं का निराकरण करायें, ताकि महाविद्यालय की समस्याएं दूर हो सकें और ग्रामीण अंचल के छात्रों को सुविधाएं मिल सकें। विधायक श्री मालवीय ने कहा कि अधिक समय से महाविद्यालयों में अतिथि विद्वान कार्य कर रहे हैं, उन्हें नियमित कराये जाने का प्रयास किया जाये। उज्जैन शहर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना कराई जाये। घट्टिया के कॉलेज में ई-लायब्रेरी और उन्हेल में महाविद्यालय की मंजूरी मिल गई है, परन्तु जमीन न होने के कारण कठिनाई आ रही है, उसे दूर कराया जाये। बैठक में बताया गया कि उन्हेल के कॉलेज हेतु जमीन का सीमांकन हो गया है। जमीन आवंटित न हो सकी है। इस पर कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने आश्वस्त किया कि इस सम्बन्ध में शीघ्र कार्यवाही की जायेगी। कलेक्टर ने जिले के प्राचार्यों से कहा कि वे अपनी-अपनी समस्याएं स्वयं को या अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और मंत्रीजी को अवगत करायें ताकि उसका समय रहते निराकरण कराया जा सके। विधायक श्री महेश परमार ने तराना कॉलेज में स्नातकोत्तर शिक्षा की कमी है, उसे दूर कराई जाये। इसी प्रकार विधायक श्री दिलीप गुर्जर एवं श्री मुरली मोरवाल ने भी अपने-अपने क्षेत्र के कॉलेजों की समस्याओं से अवगत कराया और उसे दूर कराने का आग्रह किया। बैठक में जिले के समस्त शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने बारी-बारी से अपने-अपने महाविद्यालयों की समस्याओं एवं उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के उज्जैन संभाग के अतिरिक्त संचालक श्री आरसी जाटवा, शासकीय विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एसएन शर्मा, अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.महेश शर्मा, जिले के समस्त शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यगण आदि उपस्थित थे।

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