कोरोना के संक्रमित मरीज 10 दिवस में 111 पाए गए, जिला प्रशासन कोरोना महामारी को नियंत्रण नहीं कर पा रहे, जिले में 284 संक्रमित मरीज, 46 मौतें हुई
द्वारकाधीश चौधरी
उज्जैन। ऐसा लगता है कि उज्जैन जिले में जो अधिकारी आता है वह जिले को प्रयोगशाला के रूप में प्रयोग करता है और जिले के अधिकारियों एवं जनता को नए नए नियम बताता है। कहावत है कि नया मुल्ला ज्यादा अजान देता है वाली कहावत जिले में लागू हो रही है। 5 मई को नवागत कलेक्टर आशीष सिंह ने पदभार ग्रहण किया और आते ही कोरोना महामारी को लेकर जो लॉकडाउन किया गया है, उसमें सख्ती का आदेश दिया तथा जारी समस्त पास निरस्त कर दिये। आवश्यक वस्तु, किराना, दूध एवं सब्जी के साथ ही षहर के समाजसेवी द्वारा बांटे जो रहे भोजन एवं खाद्य सामग्री को भी बंद करा दिया और नगर निगम के हाथों में भोजन एवं खाद्य सामग्री वितरण की व्यवस्था दी गई, जिसको लेकर 3-4 दिनों तक जनता परेशान होती रही और चारों ओर से यह मांग उठी कि उक्त दुकानें चालू की जाएं पश्चात 11 मई से थोक किराना की 100 दुकानों को अनुमति दी गई कि वह निश्चित स्थानों पर ही डिलेवरी करेंगे तथा दूध घर-घर जाकर दिया जाएगा। सब्जी की अनुमति नहीं दी गई, उसके बावजूद भी 10 दिवस में जिला प्रशासन कोरोना संक्रमितों की संख्या रोकने में कोई कारगार कदम नहीं उठा सकी और 10 दिवस में 111 नए कोरोना संक्रमित मरीज पाए गए है और जिले के कई क्षेत्र कंटेनमेंट क्षेत्र है तथा जिला रेड श्रेणी में है। जिलाधीश ने पदभार ग्रहण किया था तब ऐसा लग रहा था कि शीघ्र ही कोरोना को नियंत्रण कर लेंगें किंतु वे नियंत्रण नहीं कर पा रहे है। चौथे चरण में भी ऐसा लगता है कि लॉकडाउन में जिले की जनता को घरों में ही रहना पड़ेगा। शासन को चाहिए कि वरिष्ठ अधिकारी को कोरोना की रोकथाम हेतु पहल करना पड़ेगी।
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज जो रेड जोन का अस्पताल है और वहां की अव्यवस्था को लेकर सांसद अनिल फिरोजिया ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा की और उसके बाद केन्द्रीय जांच दल ने सांसद के साथ 5 दिवस तक जांच की और जांच दल ने कई मुद्दों पर जिले में कोरोना से हुई मौत के संबंध में जांच की और वह जांच रिपोर्ट राज्य और केन्द्र सरकार को सौंपेंगे। विगत दिवस प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा ने वीसी के माध्यम से जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से चर्चा की थी, उसमें भी लोकप्रिय सांसद अनिल फिरोजिया ने यह आपत्ति ली थी कि आरडी गार्डी में व्यवस्था ठीक नहीं है किंतु स्थानीय विधायक पारस जैन वहां की व्यवस्था को ठीक बता रहे थे, इसको लेकर सांसद फिरोजिया ने विधायक जैन से कहा कि आरडी गार्डी के संचालक मण्डल को बचाने में क्यों लगे हो जबकि सांसद और विधायक सत्ताधारी दल के है तथा वहां का संचालक मण्डल भी सत्ताधारी दल से संबंध है, इसलिए उसे बचाया जा रहा है। सांसद फिरोजिया साधुवाद के पात्र है क्योंकि आरडी गार्डी की व्यवस्था से वे आज भी खुश नहीं है जबकि विधायक पारस जैन के समर्थक पार्षद मुज्जफर हुसैन की मौत कोरोना से हुई है और उसने भी मृत्यु के पूर्व आरडी गार्डी में अव्यवस्था को लेकर बताया था। आरडी गार्डी में व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने नोडल अधिकारी सुजानसिंह रावत, मुख्य कार्यपालन अधिकारी उज्जैन विकास प्राधिकरण उज्जैन एवं प्रशासक महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को सौंपा गया। सूत्रों के अनुसार श्री रावत ने महाकाल मंदिर एवं विकास प्राधिकरण के इंजीनियर, अधिकारी, कर्मचारी, सफाईकर्मी आदि की आरडी गार्डी में ड्यूटी लगाई है किंतु उनका वेतन संबंधित विभाग से ही मिलेगा जबकि महाकाल मंदिर में कार्यरत कर्मचारी एवं सफाईकर्मियों को आरडी गार्डी में कार्यरत है, जबकि महाकाल मंदिर में जो भी राशि प्राप्त होती है वह दान से या चढ़ौत्री से ही प्राप्त होती है तो वहां के कर्मचारियों को आरडी गार्डी में ड्यूटी पर लगाकर मंदिर की राशि का अनावश्यक खर्च किया जा रहा है जबकि महाकाल मंदिर का कार्य क्षेत्र एवं अन्नक्षेत्र भी बहुत बड़ा है तथा विकास प्राधिकरण के अनेकों विकास कार्य होने है और वहां प्राप्त होने वाले आवेदनों का कई महीनों से निराकरण नहीं हो पा रहा है, ऐसी स्थिति में श्री रावत को ही नोडल अधिकारी क्यों बनाया गया जबकि जिले में कई अपर कलेक्टर है। प्रशासन के सूत्रों का यह भी कहना है कि आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को कोरोना के ईलाज के लिए प्रतिमाह 4 करोड़ रूपए देना का अनुबंध हुआ है तो अन्य विभागों के अधिकारी कर्मचारी और उनसे संबंधित वाहन वहां कैसे कार्यरत है? वैसे महाकाल मंदिर समिति के अध्यक्ष जिलाधीष होते है।
देश में कोरोना महामारी को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लागू किया था एवं 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी तभी से उज्जैन जिले में व्यवसाय, उद्योग, कारोबार आदि सभी बंद है। कोरोना के कारण पहली मौत 25 मार्च को शहर में हुई थी, उसके बाद निरंतर कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या अबाध गति से बढ़ती गई और 15 मई तक 46 कोरोना से मौते हो चुकी है तथा 284 कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या हो गई है। विगत 10 दिनों में 111 कोरोना संक्रमित पाए गए है तथा 11 व्यक्तियों की मौत हो गई है याने 10 दिनों में जिले में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 64 प्रतिशत बढ़ गई है जो जिले की जनता के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा जिले की जनता को नित्य नए नियम बताए जाते है और उन्हें घर में रहने की चेतावनी दी जाती है जबकि शासन द्वारा कोरोना की रोकथाम एवं उसके ईलाज के लिए लाखों रूपया खर्च किया जा रहा है और जिला रेड श्रेणी में है तथा कोरोना के मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है, कई क्षेत्रों के नागरिकों को कंटेनमेंट एरिये में रहना पड़ रहा है, उसके बावजूद भी लॉकडाउन के तीन चरण समाप्त होने आया है। वैसे जिले की जनता आवश्यक वस्तु एवं किराना के सामान में व्यापारियों द्वारा 15 से 20 प्रतिशत गेहूं का आटा, दाल, चावल, तेल, मिर्च, मसाला आदि का भाव अधिक लिया जा रहा है जबकि जिला प्रशासन ने कहा था कि व्यापारी जनता को निर्धारित मूल्य पर ही आवश्यक वस्तु का विक्रय करें, इस ओर भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है और जनता सरेआम कालाबाजारी से पिस रही है। जिले की जनता परेशान है क्योंकि चौथे चरण में भी ऐसा लगता है कि लॉकडाउन में उन्हें घरों में ही रहना पड़ेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को चाहिए कि जिले में ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों एवं अनुभवी चिकित्सकों के दल को भेजा जाएं और वे जिले में बढ़ रहे कोरोना की पहल कर सकें अन्यथा जिले के अधिकारियों से तो कोरोना महामारी का कंट्रोल करने में बड़ी मशक्कत करना पड़ेगी। बहरहाल कुछ भी हो कोरोना संक्रमितों की संख्या 41 दिनों में 173 हुई थी और मृतकों की संख्या 35 थी किंतु 10 दिनों में मृतकों की संख्या 11 एवं कोरोना संक्रमितों की संख्या 111 हुई है जो जिले के लिए चिंता का विषय है।