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‘जहां चाह, वहां राह’ शहर से 5 कि.मी. दूर फुलकी का ठेला लगाकर आजीविका चला रहा है युवक


 
उज्जैन | जहां एक ओर लोग बेरोजगारी का रोना रोते हैं, नौकरी की तलाश में भटकते रहते हैं, वहीं महिदपुर तहसील के ग्राम भीमाखेड़ा का 28 वर्षीय युवक मुकेश माली शहर से 5 किलो मीटर दूर एक ऐसी जगह पर अपना व्यवसाय चला रहा है, जहां कोई मार्केट नहीं है। फुलकी का ठेला लगाकर 400 से 500 रुपये प्रतिदिन कमाई कर अपने परिवार का खर्च चला रहे हैं। यही नहीं पिछले दिनों मुकेश माली ने स्वसहायता समूह से 21 हजार रुपये का ऋण लेकर ठेले को नया रूप दिया है, जिससे आकर्षित हो लोग आते-जाते वहां रूककर छोला-टिकिया, फुलकी एवं अन्य चाट का लुत्फ उठाते हैं।
   युवक मुकेश माली ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, किन्तु फिर भी अपनी हिकमत अमली से उन्होंने फुलकी एवं चाट बनाना सीखा। बेरोजगारी से लड़ाई लड़ते हुए सोचा कि वह बीच शहर में तो फुलकी के ठेले वालों से मुकाबला नहीं कर पायेगा, इसलिये महिदपुर-झारड़ा-घोंसला मार्ग पर शहर से पांच किलो मीटर दूर एक मन्दिर को अपने व्यवसाय का केन्द्र चुना, जहां पर आते-जाते ग्रामीण लोग कुछ देर सुस्ताते हैं एवं पानी पीकर आगे बढ़ जाते हैं। मुकेश ने समझदारी से ऐसे ग्राहकों को चुना जो परिवार एवं बच्चों के साथ हाट-बाजार, दवाई एवं जरूरी सामान खरीदने सुबह महिदपुर शहर आते हैं और दोपहर-शाम में लौट जाते हैं। अपने मृदु व्यवहार से मुकेश ने लोगों के बीच अपनी पैठ बनाई एवं गुणवत्तापूर्ण चाट सामग्री का विक्रय करना प्रारम्भ किया। पिछले पांच-छह सालों से वह एक ही जगह पर ठेला लगाते हैं और उनकी ग्राहकी बंध गई है। उन्होंने चाट तैयार करने के हुनर को अपने परिवार एवं मित्रों के बीच बांटा। मुकेश बताते हैं कि महिदपुर शहर में उनके सीखाये हुए चार-पांच लोग और इस व्यवसाय से जुड़ गये हैं। मुकेश का कहना है घर बैठने से अच्छा है स्वयं का रोजगार करना। न किसी की नौकरी, न चाकरी। अपनी इस युक्ति से मुकेश ने न केवल खुद को बल्कि अपने परिजनों एवं परिचितों को भी रोजगार से लगा रखा है।

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