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कोई भी धर्म का कार्य करें, तो शास्त्र सम्मत् करना चाहिए



उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन में जोधपुर के भागवत प्रेमीयों द्वारा आयोजित भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के कार्यक्रम में कथा वाचक सुषमा परिहार ने प्रसंग में श्री शुकदेव मुनि द्वारा राजा परिक्षित को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ ही जल्दी मरने वालें की मुक्ति का उपाय है।
कथा वाचक ने बताया कि जो बात अपने लिए बुरी लगती है वह कभी दूसरो के लिए मत करो, यही सबसे बड़ा धर्म है। हम कोई भी धर्म का कार्य करें, तो शास्त्र सम्मत् करना चाहिए, शास्त्र के विरूद्ध किया जाने वाला कोई भी कार्य अनैतिक होता है। सतसंग ही भवसागर से पार उतारने की नौका है। भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण ने बड़े प्रेम से विदुर जी के यहॉ केले के छिलके खाये। भगवान ने वहॉ विदुरानी का प्रेम देखा। भगवान तो प्रेम के भूखे हैं। इसके साथ ही बताया कि ऋषभदेव ने कहा कि संसार में कुछ भी सार नहीं है। प्रेम तो सबसे करो, पर ममता किसी से मत करो, क्योंकि ममता ही बन्धन का कारण है। कथा वाचक सुषमा परिहार ने अन्य मार्मिक प्रसंगो का भी वर्णन किया। सत्यनारायण कछावा के अनुसार इस अवसर पर शंकरलाल गहलोत, उम्मेद सिंह कछावा, गोविन्द राम सॉखला, ओमप्रकाश राठी, हनुमान प्रसाद गौड, जबर सिंह परिहार, खिंयाराम, हिम्मत बागड़ी, नारायण गेहलोत अध्यक्ष मारवाड़ी माली समाज एवं कई गणमान्य नागरिकों ने श्री भागवत महापुराण की आरती की।

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