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हत्या के लिए व्रत? -सुरेन्द्र अग्रवाल (वरिष्ठ पत्रकार)


हत्या के लिए व्रत?
    -सुरेन्द्र अग्रवाल (वरिष्ठ पत्रकार)
   बुंदेलखंड वासियों का खून बहुत गर्म है तभी तो एक दूसरे का खून पी रहे हैं। वह भी व्रत रखकर। गजब का अनुष्ठान किया गया।जो व्रत उपवास आत्मा की शुद्धि, आत्मोसर्ग और प्रत्येक जीव के कल्याण के लिए किए जाते हैं, उनका सहारा लेकर अब निहत्थे लोगों का खून बहाया जा रहा है। यही गर्म खून समाज के कल्याण, जातिवाद को खत्म करने के लिए बहाया जाता तो पूरा जीवन सार्थक हो सकता था लेकिन खूनी दरिंदों ने निहत्थे युवक को जिंदा ही जल समाधि दे दी।
         क्या महोबा रोड हत्यारों, अपराधियों की कर्मभूमि बनती जा रही है। अभी तक हरिओम शुक्ला की साजिशपूर्ण हत्या को लोग भूले नहीं हैं और उसी स्थल पर एक और युवक के कत्ल की खूनी साजिश को अंजाम दिया गया था। इस घटना से मुझे चार दशक पुरानी एक घटना याद आ रही है। नौगांव जनपद के एक गांव में एक गर्भवती महिला के पति की हत्या कर दी गई थी। कालांतर में वह महिला अपने पति के हत्यारे के साथ ही पत्नी बन कर रहने लगी थी, उसने अपने पति के गर्भ से उत्पन्न बेटे की अच्छी परवरिश की।जब वह बीस साल का हो गया था तब उसने अपने बेटे को सारा घटनाक्रम समझाया कि तुम्हारे पिता का क़ातिल कौन है।अब समय आ गया है कि इसका बदला लिया जाए। क्योंकि जब तुम्हारे पिता का कत्ल किया गया था तब मैं असहाय थी ।अब तुम इस लायक हो गये हो कि अपने पिता की हत्या का बदला ले सकते हो। अतः जो व्यक्ति अपने साथ रह रहा है उसे मार डालो।बेटे ने ऐसा ही किया था। एक निर्बल महिला ने बीस साल तक इंतजार किया था।

         पुलिस अधीक्षक अगम जैन ने इस अंधे हत्याकांड को उजागर कर दो लोगों की गिरफ्तारी का दावा किया है। निश्चित ही यह पुलिस प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती थी। तीन दिन तक किए गए अथक परिश्रम के बाद धसान नदी के सैलाब से शव को बरामद किया गया है। वह पूरी टीम बधाई के साथ पुरस्कार की हकदार है।
        हरिओम शुक्ला और शिवम मिश्रा हत्याकांड ने शांतिप्रिय नागरिकों को आहत कर दिया है। भविष्य में इस प्रकार की अन्य घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस और जिला प्रशासन को संयुक्त रूप से दोनों हत्याकांड में शामिल सभी अपराधियों के घर बुलडोजर चलवाना चाहिए। यह वक्त की मांग है। यह तथ्य सर्वविदित है कि दोनों मामलों में गहरी साज़िश रची गई थी।ये आकस्मिक घटनाक्रम नहीं है।
      एक पुलिस अधिकारी का मत है कि छतरपुर जिले की जलवायु में बहुत ज्यादा ज़हर घुल गया है। इसी के परिणाम स्वरूप इस प्रकार की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ती जा रही हैं।
          शहर में हजारों लोग ऐसे हैं जिनके पास प्रत्यक्ष रूप से कोई कारोबार नहीं है उसके बाद भी उनके पास पचास लाख की लक्जरी कार के साथ ही भौतिक सुख सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। ऐसे लोगों के पास धन कहां से और किन स्रोतों से आ रहा है। पुलिस प्रशासन को ऐसे तत्वों की खोजबीन जरुर करना चाहिए।

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