क्या गुंडागर्दी से मुक्त हो जाएगा बस स्टैंड - सुरेन्द्र अग्रवाल (वरिष्ठ पत्रकार)
क्या गुंडागर्दी से मुक्त हो जाएगा बस स्टैंड
- सुरेन्द्र अग्रवाल (वरिष्ठ पत्रकार)
पुलिस अधीक्षक अगम जैन ने गुरुवार की शाम छतरपुर बस स्टैंड पर आकस्मिक जन संवाद का आयोजन किया था। फिलहाल जो तथ्य सामने आए उससे यह स्पष्ट है कि बस स्टैंड पर गुंडागर्दी की दम पर यात्री बसों से बढ़े पैमाने पर अवैध वसूली की जा रही है तथा हमेशा गोलीबारी की आशंका बनी रहती है।इस संवाद में यघपि बहुत से तथ्य सामने आ सकते थे लेकिन सार्वजनिक रूप से लोग कहने में डरे हुए थे। ऐसे लोगों से एसपी श्री जैन ने व्यक्तिगत रूप से जानकारी देने का अनुरोध किया है।
टैक्सी स्टैंड आटो स्टैंड ई रिक्शा स्टैंड यह जवाबदेही सीधे नगरपालिका प्रशासन की है। पुलिस अधीक्षक ने इसके भी समाधान का वादा किया है।
संवाद में अधिकांश यात्री बसों का स्टाफ और कुछ बस मालिक उपस्थित थे। इसलिए कुछ ज्वलंत मुद्दे सामने नहीं आ सके। सच्चाई है कि लंबे रूट की बसें जिनकी एडवांस बुकिंग होती है, उन्हें छोड़कर किसी भी यात्री बस में न तो किराया सूची,न फास्टेड बाक्स और न ही यात्रियों को टिकट दिए जाते हैं। कंडक्टर टिकट बुक हांथ में लिए केवल यात्रियों की संख्या दर्ज कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। हालांकि यह जवाबदारी परिवहन विभाग की है,जिसे यात्री सुविधाओं से कोई लेना-देना नहीं है।
सरकारी अभिलेख में शहर में केवल एक बस स्टैंड दर्ज है। लेकिन जोगेंद्र पेट्रोल पंप, जवाहर पेट्रोल पंप, महेश टाकीज, दारु की दुकान, कल्याण धर्मशाला, किशोर सागर काम्प्लेक्स सहित इन स्थानों पर अवैध रूप से बस स्टैंड बना लिए गए हैं। हाइवे किनारे सड़कों पर ही यह बसें घंटों खड़ी होती हैं जिससे सामान्य यातायात बुरी तरह से प्रभावित होता है।
2- जोगेंद्र पेट्रोल पंप तिराहे से आकाशवाणी तिराहे तक और आकाशवाणी तिराहे से पुलिस लाइन तिराहे तक यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। प्रशासन यदि जवाहर रोड के दोनों ओर स्थित दुकानों और मकानों के आगे मिट्टी डालकर मुख्य सड़क से करीब 4 फिट तक ऊंचाई की गई है,उसे सड़क के लेबल के बराबर कर दिया जाए तो सुधार संभव है। क्योंकि पार्किंग के अभाव में जो दो पहिया और चार पहिया वाहन सड़कों पर खड़े होते हैं, वह सड़क छोड़कर खड़े हो जाएंगे तो सामान्य यातायात सुचारू रूप से संचालित होता रहेगा। क्योंकि दोनों तरफ सड़क की चौड़ाई पर्याप्त है। यहां पर भी गांधी चौक जैसी दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। प्रशासन के तीनों अंग मिलकर आम नागरिकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं।