top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << कौन बचाएगा इस जहर से - सुरेंद्र अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार

कौन बचाएगा इस जहर से - सुरेंद्र अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार


*कौन बचाएगा इस ज़हर से* - सुरेन्द्र अग्रवाल - वरिष्ठ पत्रकार

दो सौ रुपए किलो शुद्ध घी बिक रहा है हमारे यहां। जरा कल्पना कीजिए कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना शुद्ध है। खाद्य विक्रेताओं के यहां तो यदा-कदा सैम्पलिंग भरने की रस्म अदायगी कर दी जाती है लेकिन फ़ल फ़ूल, सब्जियों की शुद्धता की कभी कोई जांच नहीं की जाती है कि इनमें कितना ज़हर मिला हुआ है। अब तो हमारी वाणी, हमारे आचरण में इतना ज्यादा ज़हर घुल गया है कि हम और हमारा परिवार जो भोजन ग्रहण कर रहे हैं, उसमें कितनी मात्रा में जहर मिला हुआ है, इसका पता लगाने के लिए हमारे सिस्टम के पास कोई पैमाना नहीं है। नगर की कीटनाशक दुकानों पर इतनी भीड़ लगी रहती है कि जैसे मुफ्त का राशन बांटा जा रहा है। मौसम की दृष्टि से कृषि विभाग फ़सल का उत्पादन तो तय करता है लेकिन कभी यह पता लगाने की कोशिश नहीं करता कि फल और सब्जियों के उत्पादन में किस मात्रा में कीटनाशक का उपयोग किया जा रहा है। छतरपुर नगर में सैकड़ों की तादाद में दूध डेयरियों का संचालन किया जा रहा है। क्या प्रशासन यह सार्वजनिक रूप से जानकारी देने की कोशिश करेगा कि एक साल में कितनी डेयरियों के सैम्पल लिए गए। कभी यह पूंछने की जुर्रत की गई कि दो सौ रुपए में शुद्ध घी कैसे तैयार किया जा रहा है। छतरपुर नगर ही नहीं जिलेभर में वाटर प्लांट करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहे हैं, क्या कभी पेयजल की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया? छतरपुर नगर में ऐसी कोई खाद्य सामग्री नहीं है जो नक़ली न बनती हो। वाहनों में लगने वाला आइल भारी मात्रा में छतरपुर में ही तैयार किया जा रहा है। दरअसल हमारा पूरा सिस्टम बिकाऊ है। अफसरों और नेताओं की हवश पूरी करते रहिए, सौ सौ खून माफ हो जाएंगे। हां ईमानदार लोग सावधान रहें, क्योंकि उनका कोई मां बाप नहीं होता। उनके खिलाफ कभी भी कठोर कार्रवाई की जा सकती है। आज़ इतना ही।

Leave a reply