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धरने पर बैठे अन्‍ना हजारे ने दी पद्मभूषण लौटाने की धमकी, सरकार को याद दिलाऐं वादे



नई दिल्ली. सरकार की नीतियों के विरोध में दो हस्तियां पद्म पुरस्कार लौटा रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे पद्म विभूषण लौटाने वाले हैं। वे 30 जनवरी से महाराष्ट्र स्थित अपने गांव रालेगण सिद्धि में धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने लोकपाल-लोकायुक्तों की नियुक्ति और चुनाव सुधार के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का वादा पूरा नहीं किया। इससे पहले फिल्म निर्माता अरिबाम श्याम ने रविवार को नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध पद्मश्री लौटाने का ऐलान किया। 

अन्ना ने कहा- सरकार अपने वादे पूरे करे
अन्ना ने कहा, "‘अगर यह सरकार अगले कुछ दिनों में देश से किए अपने वायदों को पूरा नहीं करती है तो, मैं अपना पद्म भूषण लौटा दूंगा। मोदी सरकार ने लोगों के विश्वास को तोड़ा है।’’

उन्होंने कहा, मैंने इस पुरस्कार के लिए काम नहीं किया था, जब मैंने सामाज और देश के लिए काम कर रहा था तब आपने मुझे यह पुरस्कार दिया, लेकिन अगर देश या समाज इस हालत में है, तो मुझे इसे क्यों रखना चाहिए? अन्ना का पद्म भूषण 1992 में दिया गया था।

अरिबाम में 2006 में मिला था पद्मश्री
फिल्म निर्माता अरिबाम श्याम शर्मा (83) ने मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया। केंद्र सरकार ने मणिपुरी सिनेमा में योगदान के लिए उन्हें 2006 में इस सम्मान से नवाजा था।

कांग्रेस राज्यसभा में बिल का विरोध करेगी
सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल 2016, इसी साल 8 जनवरी को लोकसभा में पास हुआ। माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस बिल को बजट सत्र में ही राज्यसभा में पास कराने का प्रयास करेगी। हालांकि, पूर्वोत्तर में बिल का विरोध जारी है। कांग्रेस नेता हरीश रावत ने रविवार को कहा कि हम राज्यसभा में इसका विरोध करेंगे।

तीन देशों के गैर-मुस्लिमों को फायदा मिलेगा
मोदी सरकार ने 1955 के कानून को संशोधित किया है। इससे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदु, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी व इसाई) समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का रास्ता साफ होगा। नए कानून के तहत लोगों को 12 की बजाय 6 साल में भारतीय नागरिकता मिलेगी। वैध दस्तावेज नहीं होने पर भी गैर-मुस्लिमों को लाभ मिलेगा।

70 के दशक में मणिपुरी सिनेमा को बदला
अरिबाम श्याम ने 70 के दशक में मणिपुर के सिनेमा में क्रांतिकारी बदलाव किए थे। फिल्म निर्माण के साथ वे म्यूजिक कम्पोजर की भूमिका भी बखूबी निभाते रहे हैं। 40 साल के करियर में उन्होंने 14 फिल्में बनाईं। इसके अलावा अरिबाम ने 31 नॉन फीचर फिल्में भी बनाईं। इनमें मणिपुर की कला, संस्कृति और दैनिक जीवन को शामिल किया गया।

1982 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली
1974 में एक्टर के रूप में करियर शुरु करने वाले अरिबाम की फिल्म इमागी निंगथेम ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। 1982 में इस फिल्म ने "मोंटगोलफियरे द ओर' अवॉर्ड जीता। 2013 में आई उनकी फिल्म "लेपाकलेई' ने 60वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड समारोह में बेस्ट मणिपुरी फिल्म का अवॉर्ड जीता।

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